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सीधी अंगुली से घी नहीं निकली तो सरकार ने की टेढ़ी : 1 महीने में वसूल किये 4400 Cr
भारत में वोटर को फ्री बिजली देने का वादा राजनीतिक दलों का चुनावी स्टंट बदल गया है. कई राज्यों में कई राजनीतिक दलों ने चुनाव के ठीक पहले वोटर को फ्री बिजली देने या बिजली के दाम में बढ़ोतरी नहीं करने का भरोसा देकर पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों के जेब पर बोझ डाल दिया था. बिजली की दर नहीं बढ़ाने या कुछ सीमा तक बिजली फ्री देने का पूरा बोझ डिसकॉम उठाती हैं. 17 अगस्त को बिजली वितरण कंपनियों का राज्यों पर बकाया 5085 करोड़ के पार था. केंद्र सरकार ने जब डिस्कॉम से पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों का बकाया क्लियर करने के लिए कड़े शब्दों में कहा तो पिछले शुक्रवार को यह घटकर ₹713 करोड़ पर आ गया है.
सरकार ने इलेक्ट्रिसिटी के पेमेंट में डिफॉल्ट करने वाली कंपनियों पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी थी. इसके साथ ही सरकार ने कहा था कि जो कंपनियां पेमेंट के मामले में डिफॉल्ट करती है, वे पावर एक्सचेंज में ट्रेडिंग नहीं कर पाएंगे.
केंद्र सरकार ने जून 2022 में एक नियम नोटिफाई किया था. इसमें इलेक्ट्रिसिटी (लेट पेमेंट चार्ज एंड रिलेटेड रूल्स) एक्ट 2022 के तहत इन कंपनियों को एनर्जी एक्सचेंज में ट्रेड करने से रोकने की पहल की गई है.
पिछले महीने नेशनल ग्रिड ऑपरेटर पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड ने तीन पावर एक्सचेंज से कहा था कि 13 राज्यों के 27 डिस्कॉम को इलेक्ट्रिसिटी ट्रेडिंग से बैन कर दिया जाना चाहिए. देश में तीन एनर्जी एक्सचेंज हैं जिनमें IEX, HPX और PXIL शामिल है. बिजली बनाने वाली कंपनियों को काफी दिनों से इन डिस्कॉम से पेमेंट नहीं मिल रहा था. सरकार की वेबसाइट के मुताबिक लेट पेमेंट सरचार्ज के मामले में कर्नाटक के तीन और जम्मू कश्मीर की एक डिस्कॉम का बकाया अब 713 करोड़ रह गया है. पिछले महीने 16 अगस्त को बकाया की रकम ₹5085 करोड़ थी.