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EV की बढ़ती मांग से इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपोनेंट इंडस्ट्री को होने वाला है बड़ा फायदा, 2027 तक 72500 करोड़ रुपये का होगा उद्योग

भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपोनेंट्स (Electric Vehicle Components) का बाजार लगातार बढ़ रहा है. इलेक्ट्रिक वाहन (EV) कंपोनेंट्स इंडस्ट्री से होने वाले राजस्व के फाइनेंशियल ईयर 2021-22 के 4,300 करोड़ रुपये से बढ़कर 2026-27 तक 72,500 करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है. इतना ही नहीं समग्र ऑटोमोटिव कंपोनेंट्स के बाजार में ईवी की हिस्सेदारी वर्तमान में 1 फीसदी से बढ़कर 9-11 फीसदी हो जाएगी. यहां तक कि इंटरनल कंबस्‍टन इंजन से चलने वाले वाहनों के लिए भी पुर्जों की आपूर्ति भी बढ़ गई है.

कंपोनेंट निर्माताओं के लिए अवसर और चुनौतियां

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (CRISIL) द्वारा 220 निर्माताओं पर किए गए विश्लेषण के अनुसार, इलेक्ट्रिक वाहनों में परिवर्तन घरेलू ऑटोमोटिव कंपोनेंट निर्माताओं के लिए अवसर और चुनौतियां दोनों पैदा करेगा. ये 220 निर्माता घरेलू ऑटोमोटिव कम्पोनेंट्स मार्केट का एक तिहाई हिस्सा हैं.

इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ रही है हिस्सेदारी

आईसीई वाहनों की तुलना में ईवीएस वाहनों की बेहतर कास्ट वॉयबिलिटी यानी लागत व्यवहार्यता और पर्यावरण की दृष्टि से स्वच्छ गतिशीलता को देखते हुए उच्च उपभोक्ता मांग ईवीएस में ट्रांजिशन को बढ़ावा देगी. प्रमुख ऑटो सेगमेंट में, दोपहिया और यात्री वाहनों (पीवी) द्वारा इस ट्रांजिशन को नियंत्रित किया जाएगा. अगले 5 वित्त वर्ष में दोपहिया वाहनों में ईवी की पैठ 17-21 फीसदी तक बढ़ने की संभावना है, जो वर्तमान में 2.5 फीसदी के करीब है. यात्री वाहनों की बात करें तो, इसमें अभी इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी 1 फीसदी से कम है जो अगले 5 वित्त वर्ष में बढ़कर 6-8 फीसदी हो जाएगी.

कमर्शियल वाहनों में पहुंच कम

हालांकि, अर्थव्यवस्था की विपरीत परिस्थितियों के चलते इस दौरान कमर्शियल यानी वाणिज्यिक वाहनों में इलेक्ट्रिक वाहनों की पहुंच 2-4 फीसदी ही रहने का अनुमान है, जो वर्तमान में 0.3 फीसदी ही है. वित्त वर्ष 2027 तक तिपहिया और बस सेगमेंट में इलेक्ट्रिक वाहनों की पहुंच 31-35 फीसदी और 11-15 फीसदी होगी, जो वर्तमान में 5.5 फीसदी और 5 फीसदी है. लेकिन कम वॉल्यूम के चलते राजस्व के मामले में ये ओवरआल ऑटो कंपोनेंट बाजार के भीतर छोटे सेगमेंट हैं. फिलहाल इस बदलाव का ऑटोमोटिव कंपोनेंट बाजार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा.

राजस्‍व का बेस बढ़ाने का अवसर

ईवी बैटरी (वित्त वर्ष 2027 तक ईवी कंपोनेंट राजस्‍व का 60-65 फीसदी), ड्राइवर ट्रेन्स (10-15%), इलेक्ट्रॉनिक्स (10-15%) और अन्य (5-10%) ऑटोमोटिव कंपोनेंट कंपनियों के लिए एक अवसर है, कि वे आईसीई वाहनों की सप्लाई के अलावा अपने राजस्व के आधार में विविधता ला सकें.

लगभग 90 फीसदी ईवी कंपोनेंट आपूर्ति दोपहिया और यात्री वाहनों को पूरा करने की उम्मीद है. इसी को देखते हुए कंपोनेंट बनाने वाली कंपनियां पहले से स्थापित आईसीई मूल उपकरण निर्माताओं (ICE OEM) और नए युग के ईवी मूल उपकरण निर्माताओं (EV OEM) के साथ, इलेक्ट्रिक कंपोनेंट को बनाने के लिए निवेश कर रही हैं.

ईवी कंपोनेंट में दोपहिया वाहनों का दबदबा

वित्त वर्ष 2027 तक कुल 72,500 करोड़ रुपये के ईवी कंपोनेंट बाजार में से, दोपहिया वाहनों की हिस्सेदारी सबसे अधिक 64 फीसदी होगी. इसके बाद यात्री वाहन 28 फीसदी का नंबर होगा, जो कंपोनेंट बनाने वाली कंपनियों के लिए सबसे बड़ा अवसर पेश करेगा. कमर्शियल वाहनों, बसों और तिपहिया वाहनों में इसकी हिस्सेदारी 10 फीसदी से कम होगी.
(क्रिसिल रेटिंग्स के डायरेक्टर नवीन वैद्यनाथन और क्रिसिल रिसर्च के पुशन शर्मा का आलेख. प्रकाशित विचार लेखक के निजी हैं.)

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